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उपभोक्ता सहायता पोर्टल (संस्करण 2.3)
उपभोक्‍ता द्वारा–प्रीमियम के लिए कितनी राशि का भुगतान करना होगा; परिपक्‍वता अवधि क्‍या है; परिपक्‍वता पर कितनी राशि मिलेगी; प्रीमियम देने में चूक होने पर क्‍या-क्‍या कठिनाइयां होंगी; पॉलिसी को पुन: आरंभ करने की शर्तें क्‍या हैं; कितनी प्रभार राशि की कटौती की जाएगी; ऋण उपलब्‍ध होगा अथवा नहीं इत्‍यादि की जांच कर ली जानी चाहिए।
निपटान के विकल्‍पों से अभिप्राय पॉलिसी धारक को एक परिभाषित तरीके (निबंधन और शर्तें पॉलिसी का अनुबंध करने से पूर्व ही बता दी जाती है) से परिपक्‍वता राशि प्रदान करने की सुविधा देना है।
बीमा कंपनी को– पॉलिसी लेने के समय आयु, बीमाकृत राशि, पॉलिसी के प्रकार, पारिवारिक चिकित्‍सा इतिहास पर आधारित चिकित्‍सा रिपोर्टों जैसी विशेष चिकित्‍सा रिपोर्टें प्रस्‍तुत की जानी अपेक्षित हैं।
सामान्‍यत: – मृत्‍यु प्रमाणपत्र, दावा फार्म और पॉलिसी बांड जैसे दस्‍तावेज अपेक्षित होते हैं, चिकित्‍सा परिचारक से प्रमाणपत्र, अस्‍पताल से प्रमाणपत्र, नियोक्‍ता से प्रमाणपत्र, पुलिस जांच रिपोर्ट, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट इत्‍यादि जैसे अन्‍य दस्‍तावेज, जो लागू हों, मांगे जा सकते हैं।
स्‍वास्‍थ्‍य बीमा, एक ऐसा बीमा है जो आपके चिकित्‍सा संबंधी खर्चों को कवर करता है। कोई स्‍वास्‍थ्‍य बीमा पॉलिसी – बीमाकर्ता और व्‍यक्ति/समूह के बीच एक ऐसा अनुबंध है जिसमें एक निर्धारित ‘प्रीमियम’ देने पर बीमाकर्ता द्वारा विशेष स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कवर उपलब्‍ध कराने पर सहमति दी जाती है।
आई.आर.डी.ए., बीमा नियामक विकास प्राधिकरण है। भारत में बीमा उद्योग का विनियमन और विकास करने के लिए बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आई.आर.डी.ए.) एक स्‍वायत्तशासी शीर्ष सांविधिक निकाय है।

भारतीय बीमा नियामक विकास प्राधिकरण द्वारा पॉलिसीधारकों की शिकायतों/विवादों के सम्‍बन्‍ध में कार्रवाई की जाती है। यह कक्ष प्रतितोष के लिए विवादों को संबंधित बीमा कंपनियों के साथ उठाता है।

बीमाकर्ता के विरूद्ध कोई शिकायत करने की इच्‍छा रखने वाले पॉलिसीधारकों को सर्वप्रथम संबंधित बीमाकर्ता के शिकायत/विवाद प्रतितोष कक्ष से संपर्क करना अपेक्षित है। यदि एक युक्तियुक्‍त समयावधि के भीतर उनको बीमाकर्ता से कोई उत्‍तर प्राप्‍त नहीं होता अथवा वे कंपनी के प्र‍त्‍युत्तर से संतुष्‍ट नहीं होते तो वे उपभोक्‍ता मामले विभाग में आई.आर.डी.आई. विवाद प्रतितोष कक्ष से संपर्क कर सकते हैं।

यदि उपभोक्‍ता अपनी अपेक्षा के अनुसार पॉलिसी को रद्द अथवा परिवर्तित करना चाहता है तो यह जीवन बीमा पॉलिसी के लिए निर्धारित समय-सीमा है। फ्री लुक-अप अवधि, पॉलिसी प्राप्‍त होने की तारीख से 15 दिन ( दूरस्‍थ विपणन के माध्‍यम से खरीदी गई पॉलिसियों के लिए 30 दिन की अवधि) तक की होती है। क्रेता द्वारा इन 15 दिनों के भीतर पॉलिसी सम्‍बन्‍धी दस्‍तावेज़ों की जांच कर लिया जाना आवश्‍यक है और यदि दिए गए आश्‍वासन और उपभोक्‍ता को प्राप्‍त होने वाली सुविधाओं में कोई अन्‍तर हो तो उपभोक्‍ता द्वारा वह पॉलिसी कम्‍पनी को वापिस की जा सकती है।